दुनिया के प्रदूषित शहरों की दौड़ में तेज़ी से आगे बढ़ता अपना शहर बरेली।

दुनिया के प्रदूषित शहरों की दौड़ में तेज़ी से आगे बढ़ता अपना शहर बरेली।

शहर में हर जगह धूल गंदगी और बदबू का साम्राज्य।

बरेली का एक्यूआई काफी बढ़ने लगा है. सोमवार आधी रात को बरेली का AQI 116 था, जो काफी चिंताजनक है. में धूल और धुएं से AQI बढ़ा है. शहर के कुतुबखाना में काफी समय से ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है…

आज़ाद पत्रकार न्यूज। बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली की हवा जहरीली हो गई है बरेली दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है. यह काफी चिंताजनक है. बरेली टॉप 100 में 74वें स्थान पर आ गया है. यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मंगलवार सुबह 116 था, जो बेहद खराब स्थिति में है. शहर के सिविल लाइंस की हवा सबसे अधिक खराब हैं. यहां का AQI 152, सुभाष नगर का 147 और राजेंद्र नगर का 82 है. इसमें राजेंद्र नगर का AQI कुछ बेहतर है. यहां सांस ली जा सकती है. हालांकि, दुनिया के टॉप 100 प्रदूषित शहरों में बरेली के साथ ही पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर भी शामिल हैं. इसमें बदायूं 76, पीलीभीत 77 और शाहजहांपुर 78वें स्थान पर है. टॉप 100 में जौनपुर, मेरठ, और लखनऊ समेत कई शहर शामिल हैं।

धुएं और धूल से बढ़ा प्रदूषण

बरेली का एक्यूआई काफी बढ़ने लगा है. सोमवार आधी रात को बरेली का AQI 116 था, जो काफी चिंताजनक है. बरेली में धूल और धुएं से AQI बढ़ा है. शहर के कुतुबखाना में काफी समय से ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है. इसके भी बरेली का AQI बढ़ रहा है. यहां निर्माण कार्य के चलते सुबह से लेकर रात धूल उड़ती है।

19.5 फीसद होनी चाहिए ऑक्सीजन

हर इंसान को ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है. सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए. इसके नीचे ऑक्सीजन जाने से नुकसान होता है. एक्यूआई बढ़ने से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है. ऐसे में घरों से में एहतियात बरतने की है. में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है. डॉक्टर एन-95 मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।यह होना चाहिए एक्यूआई0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है. इससे सेहत पर कम असर होता है. 51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है. 101 के बाद ठीक नहीं है. 101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है. 201-300 AQI काफी खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है. 301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस बीमारी का खतरा होता है. 401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है.इंसान की सेहत पर सबसे अधिक खराब होती है.

वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां

वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है।कई बीमारियों की जड़ है प्रदूषणकिडनी संबंधी बीमारीडॉक्टरों के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी भी घर कर सकती है. इसका सीधा संबंध किडनी से होता. इसके अलावा प्रदूषित वायु में पाए जाने वाले कार्बन से किडनी डैमेज का भी खतरा बन जाता है.दिल पर भी वार करते हैं प्रदूषित कणस्वस्थ व्यक्तियों के लिए सबसे जरूरी ऑर्गन हार्ट होता है और वायु प्रदूषण फेफड़ों और किडनी के अलावा दिल पर भी वार करता है. वायु प्रदूषण से दिल की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण में इजाफा के चलते धड़कनों का असंतुलित होना, हार्ट फेल होना और हाइपरटेंशन जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. इन समस्याओं के लक्षण शरीर पर दिखाई देने लग जाते हैं।

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