महिला क्रिकेट को सशक्त पहचान दिलाने वाली खिलाड़ी: मिताली राज

महिला क्रिकेट को सशक्त पहचान दिलाने वाली खिलाड़ी: मिताली राज

नयी दिल्ली, 

मिताली राज से एक बार किसी पत्रकार ने पूछा कि आपका पसंदीदा पुरूष क्रिकेटर कौन है जिस पर उनका जवाब था, ‘‘क्या आपने किसी पुरूष क्रिकेटर से कभी पूछा है कि उनकी पसंदीदा महिला क्रिकेटर कौन है।’’

मिताली का यह जवाब ही उनकी पूरी शख्सियत को बयां करता है। इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाली मिताली दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज ही नहीं हैं बल्कि महिला क्रिकेट को पुरूषों के दबदबे वाले खेल में नयी पहचान दिलाने वाली पुरोधाओं में से एक हैं। दो दशक से अधिक लंबे कॅरियर में वह महिला क्रिकेट की सशक्त आवाज बनकर उभरीं और कई पीढियों के लिये प्रेरणास्रोत बन गईं।

तेईस साल लंबा कॅरियर, 333 अंतरराष्ट्रीय मैच और 10,868 रन उनके स्वर्णिम सफर की बानगी खुद ब खुद देते हैं। पुरूष क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर ने 24 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला तो महिला क्रिकेट में मिताली ने भी लगभग इतना समय गुजारा। दोनों के आंकड़ों से अधिक खेल पर उनका प्रभाव उन्हें खास बनाता है। तेंदुलकर की ही तरह मिताली ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई और भारतीय क्रिकेट को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

पिता दुरई राज वायुसेना में कार्यरत थे तो अनुशासन बेटी को विरासत में ही मिला था। सिकंदराबाद की जोंस क्रिकेट अकादमी में अपने भाई और पिता के साथ जाकर मिताली बाउंड्री के पास अपना होमवर्क करती रहतीं और कभी मन करता तो बल्ला उठाकर खेल भी लेती थीं। अकादमी के कोच की पारखी नजर उन पर पड़ी और बस भरतनाट्यम सीखने वाली नन्हीं मिताली ने क्रिकेट के पैड पहनकर हाथ में बल्ला थाम लिया। तमिल परिवार में जन्मी मिताली ने तीसरी कक्षा में ही भरतनाट्यम सीखना शुरू कर दिया था।

अक्सर उनकी परिपक्व तकनीक, क्लासिक (शास्त्रीय) शॉट्स और कमाल के फुटवर्क की चर्चा होती है। कहीं न कहीं बचपन में शास्त्रीय नृत्य के प्रति लगाव और अभ्यास ने इसमें अहम भूमिका निभाई।

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