ऑनलाइन खरीदारी से तहस नहस हो रहा व्यापार। खुदरा व्यापारियों दुकानदारों को ख़त्म कर रहा ऑनलाइन व्यापार

ऑनलाइन खरीदारी से तहस नहस हो रहा व्यापार। खुदरा व्यापारियों दुकानदारों को ख़त्म कर रहा ऑनलाइन व्यापार

ऑनलाइन उपभोक्ता हो रहे हैं ठगी का शिकार।

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आज़ाद पत्रकार न्यूज, देश में ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते प्रचलन ने जहां शहरों के व्यापार और दुकानदारों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है वहीं पर यह भी स्पष्ट है कि ऑनलाइन उपभोक्ता अंधेरे में हैं, उन्हें खरीदे गए उत्पाद की गुणवत्ता, गारंटी एवम निर्माण – तिथि की सही जानकारी नहीं रहती। ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनी सामान सस्ता बेचने के लिए क्या और कैसे काम करती हैं उपभोक्ता को नहीं पता। कभी नकली तो कभी ख़राब कभी पुराना बचा खुचा माल समेट कर आपको बेचा जाता है। इसमें इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक और बाकी सभी सामानों के साथ ही खाने पीने के सामान बेचने वाली कंपनी भी यही सब करती हैं।
दरअसल लोगों की भाग दौड़ वाली जिन्दगी और पुरुष महिलाओं दोनों का अधिकतर समय नौकरी आदि में बीतने के कारण ऑनलाइन ख़रीद का प्रचलन बड़ा है और लोग इनपर इतने आश्रित हो गए हैं कि इसके दुष्परिणामों से बेखबर हैं, नतीजा बाजार सुनसान और खाली पढ़े हैं दुकानदार सुबह से शाम मेहनत और लागत लगा कर ड्यूटी देता है और निराशा हाथ लग रही है।
उपभोक्ताओं को यह अच्छी तरह समझ लेना होगा कि एक दिन जब बाजार खत्म हो जाएगा दुकानें बंद और व्यापारी तबाह हो जायेंगे तब यह ऑनलाइन कंपनियां अपनी मनमानी पर उतरेंगी मनचाहा दाम वसूलेंगी और गुणवत्ता की तो बात ही करना बेकार है ।
उपभोक्ताओं को जागरूक होकर यह सोचना होगा कि दुकानदार पारदर्शिता और गारंटी से आपको सामान बेचता है आपकी पसंद का सामान सामने दिखाकर देता है और थोड़ा बहुत दाम का अंतर रहता है वरना आपको जो छूट हो सकती है देता है सुबह से शाम तक आपकी सेवा के लिए तत्पर रहता है।
आज सरकार को भी इस विषय में सोचना होगा कि यही व्यापारी देश की अर्थव्यवथा की कड़ी हैं, कर दाता हैं।
और यहां तक कि इन सरकारों को चुनने और बनाने वाले मतदाता भी हैं फिर इनकी दुर्दशा कब तक यह ऑनलाइन वाले करते रहेंगे और दुकानदार दुकानें और कारोबारी कब तक नुकसान उठाकर यह देश की सेवा कर सकेंगे , कब तक सरकार को वोट देते रहेगें। प्रश्न बेहद गंभीर है अवश्य सोचना ही होगा सरकार को और ऑनलाइन खरीदने वाले उपभोक्ताओं को भी।

मगर यह बहुत ही दुखद है कि व्यापार और व्यापारी वर्ग की इतनी बड़ी परेशानियों से सरकार एकदम बेखबर विमुख और उदासीन है। इसके लिए कुछ काम तो करना दूर कुछ सोचने की भी जरूरत नहीं समझ रही, जबकि व्यापारीगण इस सरकार से बहुत उम्मीदों के साथ और सकारात्मक सोच रखते हुए जुड़ा था जिससे उसे बेहद निराशा हाथ लगी है।

जल्दी ही इस विषय पर ध्यान देकर व्यापारी वर्ग की समस्याओं और उन्हें ऑनलाइन व्यापार से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए किसी योजना को मूर्त रुप देकर उसका क्रियान्वयन करना होना।
उपभोक्ताओं को भी ऑनलाइन खरीदारी की तरफ़ अंधे होकर दौड़ने की बजाय अपने स्थानीय बाजार का ही रुख करना जिला यही उनके लिए हितकर है, अन्यथा आने वाला समय बाजार की बर्बादी के उनके लिए भी परेशानियों से भरा होगा।

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